हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ? शिव का रुद्रावतार बजरंगबली की कहानी
जय बजरंगबली!
पुराणों में अनेक बार वर्णन आता है कि हनुमान जी के बिना राम कथा अधूरी है। लेकिन आपने कभी सोचा है कि महाबली हनुमान जी का जन्म कैसा हुआ? क्या सच है कि वे भगवान शिव के अवतार थे? आज की इस पवित्र कथा में हम जानेंगे उनके जन्म से जुड़ेंगे वो सब दिव्य घाटनाएं जो उन्हें संकटमोचन बनाते हैं।
क्या हनुमान जी भगवान शिव के अवतार थे?
हां, हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार माना गया है। शिव पुराण के अनुसर, जब भगवान विष्णु ने श्री राम का अवतार लिया धरती पर धर्म की रक्षा के लिए, तब भगवान शिव भी एक सेवक के रूप में धरती पर आये – और उनका रूप था हनुमान जी का। एक ऐसा अवतार जिसकी शक्ति भी थी, भक्ति भी थी, और मर्यादा का पालन भी।
हनुमान जी का जन्म किस दिन हुआ था?
हनुमान जी का जन्म एक मंगल भरे दिन हुआ था। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के मंगलवार, चित्रा नक्षत्र में, मेष लग्न के समय सुबह 6:30 बजे, उनका अविर्भाव हुआ। इसी दिन को हम हनुमान जयंती के रूप में मनाते हैं। मान्यता है कि इस समय आकाश में गजराज योग था, और सारी धरती पवित्र ऊर्जाओं से भरी हुई थी।
हनुमान जी के माता-पिता कौन थे?
हनुमान जी के पिता वानर राजा केसरी थे, और माता थी अंजनी, जो एक तपस्विनी और पवित्र चरित्र वाली देवी थीं। माता अंजनी ने दिव्य संतान की प्राप्ति के लिए कथिन तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि उनका पुत्र रुद्रावतार होगा।
इसी समय वायु देव ने अपनी पवित्र ऊर्जा से अंजनी माता के शरीर में प्रवेश किया, और उनका स्पर्श जन्म का माध्यम बना। इसलिए हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहा जाता है।
हनुमान जी के जन्म की कहानी क्या है?
एक प्राचीन कथा के अनुसर, राजा केसरी एक दिन प्रभास तीर्थ के पास गये। वहां उन्होंने देखा कि कुछ ऋषि विष्णु यज्ञ कर रहे हैं, लेकिन एक राक्षसी रूप धारण किये हाथी ने यज्ञ में विघ्न डाल दिया। राजा केसरी ने हमारे हाथी को एक ही प्रहार में मार गिराया।
ऋषिगण उनकी वीरता से प्रसन्न हो गए और उन्हें वरदान दिया कि उनका पुत्र परम शक्तिशाली होगा – जो चाहे वो रूप धारण कर सके, और जिसका बाल हवा से भी तेज होगा। इसी ऋषि-वरदान, अंजनी माता की तपस्या, और वायु देव के योग से हनुमान जी का दिव्य जन्म हुआ।
हनुमान जी का नाम हनुमान क्यों पड़ा?
हनुमान जी का असली नाम तो मारुति या अंजनेय था। लेकिन उनका नाम “हनुमान” पड़ा एक रोचक घटने के कारण।
बचपन में जब हनुमान जी भूखे थे, तो सूर्य देव को एक लाल फल समझ लिया और उन्हें खा जाने के लिए आकाश में उड़ गए। सूर्य देव ने उनका मन नहीं तोड़ा, लेकिन इंद्र देव ने उनका और वज्र चला दिया। वज्र उनकी थोड़ी (हनु) पर लगा, और उसकी थोड़ी टूट गई। तब से उनका नाम पड़ गया – हनुमान, जिसका अर्थ होता है “जिसकी हनु (चिन) टूटी हो”।
वायु देव ने हनुमान जी के लिए क्या किया?
जब हनुमान जी बेहोश हुए, तो उनके पिता वायु देव इतने शोक में आ गए कि उन्हें पूरी दुनिया में हवा चलानी बंद कर दी गई। पृथ्वी पर प्राण जलने लगे, प्रकृति रुक गई, जीवन व्याकुल हो उठा।
तब सभी देवता वायु देव के पास गए और उनसे शांति की प्रार्थना की। वायु देव ने तब तक अपनी गति नहीं छोड़ी, जब तक सभी देवता हनुमान जी को अनेक वरदान देने के लिए तैयार नहीं हो गए।
हनुमान जी को कौन-कौन से देवताओं ने वरदान दिया?
सभी देवताओं ने हनुमान जी को अनुपम वरदान दिए:
- इंद्र देव ने कहा: “तेरा शरीर वज्र से भी कठिन होगा।”
- ब्रह्मा जी ने दिया: “तू अमर होगा, कोई तुझसे हार नहीं पाएगा।”
- सूर्य देव ने कहा: “तू ज्ञानी बनेगा, सब शास्त्र का ज्ञाता।”
- यमराज ने दिया: “तू कभी रोग या मृत्यु से पीड़ित नहीं होगा।”
- वरुण देव ने वरदान दिया: “जल तुझे कभी नुक्सान नहीं पहुंच सकता।”
ऐसे अनेक वरदानों से हनुमान जी बने चिरंजीवी – जो सदा अमर रहेंगे, और भक्तों के संकट दूर करते रहेंगे।
हनुमान जी के प्रमुख नाम क्या हैं?
हनुमान जी के कई नाम हैं, जो उनकी महिमा और लीलाओं को दिखाते हैं:
- बजरंगबली – वज्र जैसा शरीर
- संकटमोचन- जो संकट दूर करें
- अंजनेय – माता अंजनी के पुत्र
- केसरी नंदन-पिता केसरी के लाल
- मारुति नंदन – वायुपुत्र
- महावीर- सबसे वीर
नामो को जपने से भी मन को शक्ति मिलती है और विघ्न दूर होते हैं।
क्या हनुमान जी आज भी जीवित हैं?
हाँ! हिंदू धर्म के अनुसर, हनुमान जी चिरंजीवी हैं – यानि वे अमर हैं। वे आज भी पृथ्वी पर हैं, और जहां भी राम कथा होती है, वहां वे अवष्य उपस्थित होते हैं।
इसी विश्वास से हर राम भक्त उन्हें श्रद्धा से याद करता है।
हनुमान जी भक्ति, बाल और सेवा के मूल रूप हैं
हनुमान जी की जन्म कथा एक पौराणिक घटना नहीं, एक अदभुत लीला है जो हमें सिखाती है कि सच्चे भक्त अपने भगवान के लिए कुछ भी त्याग कर सकते हैं।
उनका जीवन राम भक्ति, मर्यादा और निष्काम सेवा का जीवन प्रमाण है। उनका नाम लेने से ही मन में साहस आता है, विघ्न दूर होते हैं, और मन शुद्ध होता है।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर!